आज का युवा, जो देश का भविष्य है, जो अपने सपनों की उड़ान में आसमान को छूने की क्षमता रखता है – वह सिगरेट के कश, शराब के घूंट और ड्रग्स की लत में क्यों डूब रहा है?
जहाँ एक ओर विज्ञान, तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में युवा चमत्कार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक बड़ा तबका खुद को नशे की गिरफ्त में खोता जा रहा है।
यह निबंध इसी चिंताजनक प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास है:
“क्यों चाहिए जवानी को नशा?”
1. जवानी और उसकी बेचैनी
1.1. शरीर और मन में ऊर्जा का विस्फोट
युवावस्था वह दौर है जब शरीर में हार्मोन्स उफान पर होते हैं, मन में जोश होता है, और जीवन की तीव्रता बहुत अधिक होती है। यह ऊर्जा अगर सही दिशा में न जाए, तो वह बर्बादी का कारण बनती है।
1.2. पहचान की तलाश और सामाजिक दबाव
युवा अपने जीवन में पहचान बनाना चाहता है – वह चाहता है कि लोग उसे “कूल”, “बोल्ड”, “स्वतंत्र” समझें। और इसी चाह में वह कई बार भीड़ का हिस्सा बन जाता है – भले ही वह भीड़ उसे नशे की ओर क्यों न ले जा रही हो।
1.3. अकेलापन और अवसाद की छाया
डिजिटल युग में भले ही हम जुड़े हुए दिखते हैं, लेकिन भीतर से युवा वर्ग पहले से कहीं अधिक अकेला और अवसादग्रस्त है। रिश्तों की कमी, उद्देश्यहीनता और भावनात्मक रिक्तता उसे नशे की ओर खींचती है।
2. नशे के प्रारंभिक कारण: क्यों शुरू होता है?
2.1. जिज्ञासा और प्रयोग की भावना
कई युवा सिर्फ यह देखने के लिए सिगरेट या शराब का पहला घूंट लेते हैं कि “देखते हैं कैसा लगता है।” लेकिन एक प्रयोग कब लत बन जाता है, उन्हें पता ही नहीं चलता।
2.2. मित्रों का दबाव और ‘गैंग’ संस्कृति
“अगर तूने नहीं पिया तो तू बच्चा है” – ये शब्द कई युवाओं के लिए पहले नशे की शुरुआत बनते हैं। दोस्ती निभाने, ‘मर्द’ दिखने या ग्रुप का हिस्सा बनने के लिए वे वह सब करने को तैयार हो जाते हैं, जो भीतर से उन्हें मंजूर नहीं होता।
2.3. रोल मॉडल की गलत छवि
फिल्मों, म्यूजिक वीडियो और सोशल मीडिया पर जब अभिनेता, रैपर्स, या इंटरनेट सेलिब्रिटी नशा करते दिखते हैं, तो युवा उन्हें फॉलो करते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि वह एक स्क्रिप्टेड, एडिटेड और ग्लैमराइज्ड दुनिया है।
टूटे हुए परिवार, माता-पिता की अनदेखी, घरेलू कलह और भावनात्मक जुड़ाव की कमी भी युवाओं को नशे की ओर धकेलते हैं। नशा तब एक ‘अस्थायी राहत’ की तरह लगता है।
3. नशे की श्रेणियाँ और उनका प्रभाव
3.1. सिगरेट (निकोटीन)
– फेफड़ों की बीमारियाँ, कैंसर
– दिल की समस्याएं
– सांस की दिक्कत
– लगातार थकान, त्वचा का पीला पड़ना
– और सबसे ज़्यादा – धीरे-धीरे ‘नॉर्मल’ होने के लिए भी सिगरेट चाहिए होती है
3.2. शराब (एल्कोहोल)
– यकृत (लिवर) को बर्बाद कर देती है
– व्यवहार में आक्रामकता
– ब्रेन की कार्यशैली में बाधा
– रिश्ते टूटते हैं, अपमानजनक स्थिति बनती है
– एक्सीडेंट्स, अपराध, आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती हैं
3.3. ड्रग्स (कोकीन, चरस, गांजा, हेरोइन, एलएसडी, MDMA)
– ब्रेन का संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाता है
– शरीर कमजोर हो जाता है
– मानसिक बीमारियाँ (schizophrenia, psychosis)
– कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है
– नशा न मिले तो withdrawal में व्यक्ति खुद को और दूसरों को नुकसान पहुँचा सकता है
4. नशा और समाज: एक गहरी चोट
4.1. पारिवारिक तंत्र टूटता है
एक नशेड़ी युवा न केवल खुद को बर्बाद करता है, बल्कि अपने माता-पिता, भाई-बहन, जीवनसाथी – सभी को मानसिक और आर्थिक तनाव में डाल देता है।
4.2. अपराध और हिंसा का बढ़ना
नशे की लत जब बढ़ती है, तो व्यक्ति अपराध करने लगता है – चोरी, धोखाधड़ी, मारपीट, यहाँ तक कि हत्या तक की घटनाएँ सामने आती हैं।
4.3. राष्ट्र को खोता है उसका युवा बल
एक राष्ट्र का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है। जब यही युवा वर्ग नशे में डूबता है, तो उसकी सोच, कार्यक्षमता और संकल्प शक्ति क्षीण हो जाती है। यह सीधा नुकसान देश की प्रगति को होता है।
5. नशा छोड़ने की राह: क्या यह संभव है?
5.1. हां, सौ प्रतिशत संभव है
सैकड़ों, हजारों उदाहरण ऐसे हैं जहाँ लोगों ने बेहद गहरी लत से बाहर निकलकर नया जीवन शुरू किया है। शर्त केवल एक है – “ईमानदार इच्छा”।
5.2. पहला कदम: स्वीकार करना
पहले यह स्वीकार करना ज़रूरी है कि नशा एक समस्या है। जब तक कोई खुद मानेगा नहीं कि वह फँसा हुआ है, तब तक बाहर निकलने का रास्ता नहीं खुलेगा।
5.3. परिवार और दोस्तों का समर्थन
नशे से बाहर निकलने वाले व्यक्ति को सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है – प्रेम, धैर्य और समर्थन की। दोष देने की बजाय, हाथ पकड़िए।
5.4. थेरेपी, योग, ध्यान और काउंसलिंग
– पेशेवर चिकित्सक और मनोवैज्ञानिक मदद करते हैं
– योग और ध्यान मन की बेचैनी को शांत करते हैं
– काउंसलिंग आत्मविश्वास और उद्देश्य निर्माण में सहायक होती है
5.5. एक उद्देश्य चुनिए
जब व्यक्ति का जीवन अर्थपूर्ण हो जाता है – जैसे कोई कला, सेवा, खेल, सामाजिक काम – तब धीरे-धीरे नशा फीका पड़ने लगता है।
6. समाधान और रोकथाम: नशे से मुक्त युवा भारत
6.1. शिक्षा व्यवस्था में नशा-विरोधी पाठ
स्कूलों और कॉलेजों में जीवन कौशल और नशे के प्रति चेतना उत्पन्न करने वाले पाठ पढ़ाए जाएँ। जानकारी ही सबसे बड़ा हथियार है।
6.2. रचनात्मक प्लेटफार्म देना
युवाओं को कला, खेल, तकनीक, साहित्य जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्लेटफॉर्म देना चाहिए ताकि उनकी ऊर्जा सही दिशा में जाए।
6.3. नशा-विरोधी कैंपेन और हेल्पलाइन
सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। नशा छुड़वाने के लिए मुफ्त और गोपनीय सहायता उपलब्ध होनी चाहिए।
6.4. सोशल मीडिया और बॉलीवुड की ज़िम्मेदारी
फिल्मों और डिजिटल मीडिया में सिगरेट, शराब, ड्रग्स को “स्टाइलिश” दिखाने की प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए।
7. एक युवा की आत्मकथा
“मैंने पहली बार सिगरेट कॉलेज कैंटीन में पी। बस ऐसे ही। फिर पार्टीज़ में शराब आई, और फिर LSD। कुछ समय बाद, मैं हर सुबह सिगरेट के बिना उठ नहीं सकता था, और हर रात ड्रग्स के बिना सो नहीं सकता था।
मेरे माता-पिता मुझे पहचान नहीं पा रहे थे। दोस्तों ने दूरियाँ बना लीं। करियर चौपट हो गया। तब एक दिन अस्पताल में खुद को तड़पते देखा। लगा, ‘क्या यही जवानी है?’
फिर खुद को उठाया, मनोचिकित्सक से मिला, ध्यान शुरू किया, लेखन में डूबा और आज – मैं एक मोटिवेशनल स्पीकर हूँ। मैंने नशे से खुद को नहीं बचाया – खुद को जानकर, खुद को बदलकर, मैंने भीतर से नया जन्म लिया।”
निष्कर्ष: नशा नहीं, दिशा दो
“जवानी नशे से नहीं, नीयत और उद्देश्य से सुंदर बनती है।”
अगर आज के युवा को सही मार्गदर्शन मिले, समझ मिले, और खुद के भीतर झाँकने की प्रेरणा मिले – तो वह सिगरेट की धुएँ में नहीं, अपने सपनों की उड़ान में जीएगा।
नशा पल भर की राहत है, और जीवन पूरे अस्तित्व की संभावना।
अब फैसला तुम्हारे हाथ में है – “नशे का रास्ता या नायक का रास्ता?”